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Prem Kumar Shaw

Romance

3.8  

Prem Kumar Shaw

Romance

एक पुष्प मेरे नाम का

एक पुष्प मेरे नाम का

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तुम्हारे सिरहाने

कभी चुपके से

एक पुष्प रख आऊँगा

अपने नाम का 


जिसे तुम उठा 

जब हाथ में लोगी 

उसके स्पर्श मात्र से

मैं स्वयं को तुम्हारे

करीब पाऊँगा

उस पुष्प के रूप में।


और उन कुछ क्षणों को 

तुम्हारे लिए सहेज कर रख आऊँगा 

उसी सिरहाने जहाँ

तुम सोते वक्त

अपने कोमल करों के स्पर्श से


तकिए को अपने करीब खींच कर

अपने मस्तक को आराम देती हो

और किसी के स्वप्न में लीन हो जाती हो।


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