Prem Kumar Shaw
Romance
तुम्हारे घर के
पीछे की खिड़की से
जो एक छोटी
चिड़िया दिखती है
जिसे रोज सुबह तुम
निहारती हो अपने
मृदुल नयनों से
मैं वह चिड़िया
बनना चाहता हूँ
और तुम्हारे
नयनों के सामने
यूँ ही सुबह-शाम
उड़ना चाहता हूँ।
अभिलाषा
चिड़िया
एक पुष्प मेरे...
स्मृति
तस्वीर
घर
सिहरन
आँखें
अमानव
स्त्री_
हवाओं में है बिखरी खुशबू जैसे रागिनी हो बजी हवाओं में है बिखरी खुशबू जैसे रागिनी हो बजी
गुनगुनाते हैं भंवरे, सारे जहां में। मस्त हो के फिरते हैं, दिलकश समा में।। गुनगुनाते हैं भंवरे, सारे जहां में। मस्त हो के फिरते हैं, दिलकश समा में।।
मेरी आखिरी हिचकी मे मेरी जुल्फो को सहलाते रहो,मेरे माथे को चूम मुस्कुराते रहो। मेरी आखिरी हिचकी मे मेरी जुल्फो को सहलाते रहो,मेरे माथे को चूम मुस्कुराते रह...
निभाना मुश्किल है यह अपना बंधन नजरों में सजा कर बैठी हूँ एक सपना निभाना मुश्किल है यह अपना बंधन नजरों में सजा कर बैठी हूँ एक सपना
आ जाओ साजन ना मुझे सताओ अब जीवन कर दिया है नाम तेरे। आ जाओ साजन ना मुझे सताओ अब जीवन कर दिया है नाम तेरे।
ऐसा भी क्या मांगा मैंने, हक़ ही तो चाहा मैंने, ऐसा भी क्या मांगा मैंने, हक़ ही तो चाहा मैंने,
एक छोटा सा अहसास दिल में उपज रहा है । एक छोटा सा अहसास दिल में उपज रहा है ।
पता नहीं ईश्वर ने तुममें ऐसी क्या घोली है इतनी मीठी आवाज तुमने कैसे बोली है! पता नहीं ईश्वर ने तुममें ऐसी क्या घोली है इतनी मीठी आवाज तुमने कैसे बोली है!
न देखो तुम मुझे, न देखूं मैं तुम्हें पर आज मैं तुम्हें देखती हूँ, तुम्हें सोचती हूँ, न देखो तुम मुझे, न देखूं मैं तुम्हें पर आज मैं तुम्हें देखती हूँ, तुम्हें ...
हमारी यादों में आप भी बेहिसाब है I हमारी यादों में आप भी बेहिसाब है I
इक घुटन सी होती है जिनके क़रीब होने से, बोझ ऐसे रिश्तों का फिर उम्र भर उठाए क्यों इक घुटन सी होती है जिनके क़रीब होने से, बोझ ऐसे रिश्तों का फिर उम्र भर उठाए क्...
जब मैंने उसे देखा, मेरा दिल धड़का, उसकी ओर हुआ रोमांचित! जब मैंने उसे देखा, मेरा दिल धड़का, उसकी ओर हुआ रोमांचित!
बिंदिया है मद्धिम, कंगना भी तुम बिन भूला खनकना बिंदिया है मद्धिम, कंगना भी तुम बिन भूला खनकना
मेरी सपनों की दुनिया है चाहत तेरी, अब तुम्हें सिर्फ पाना है आरजू मेरी, मेरी सपनों की दुनिया है चाहत तेरी, अब तुम्हें सिर्फ पाना है आरजू मेरी,
सिले हुए ओठों पर से मानो ताला खुलता है सिले हुए ओठों पर से मानो ताला खुलता है
दगा करना, क्या मोहब्बत का पहला उसूल है, दगा करना, क्या मोहब्बत का पहला उसूल है,
रंग दूँगी, मैं कुछ तुझे इस तरह, तू हमेशा रहेगा, मेरा बस मेरा। रंग दूँगी, मैं कुछ तुझे इस तरह, तू हमेशा रहेगा, मेरा बस मेरा।
प्यार आज भी है, उनको हमसे और हमको उनसे प्यार आज भी है, उनको हमसे और हमको उनसे
ख़्वाहिशें हैं लाखों मगर दास्तान ये सुनानी है। ख़्वाहिशें हैं लाखों मगर दास्तान ये सुनानी है।
थिरक रहा है मन थिरकता तन, थिरक रहा है मन थिरकता तन,