स्मृति
स्मृति
हर रोज़
मुझे
तुम्हारे तरफ बेवजह
खींच ले जाती है,
यह स्मृति भी
कितनी हठी है प्रिय
जो हर पल मुझे तुम्हारा
होने के लिए बाध्य करती है।।
हर रोज़
मुझे
तुम्हारे तरफ बेवजह
खींच ले जाती है,
यह स्मृति भी
कितनी हठी है प्रिय
जो हर पल मुझे तुम्हारा
होने के लिए बाध्य करती है।।