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Richa Baijal

Romance

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Richa Baijal

Romance

कभी अजनबी कभी अपनेपन का लिबास

कभी अजनबी कभी अपनेपन का लिबास

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तेरे आने से खुश हो जाते हैं 

हम फिर से जीवन में शामिल हो जाते हैं 

करने लगते हैं इबादत उसी खुदा की 

जिसे हम तेरी गैर मौजूदगी में भूल -सा जाते हैं।


बारिश भी तू, और सावन भी तू 

हम इस कदर तेरे एहसासों में भीग - सा जाते हैं 

मौत भी तू, और जीवन भी तू 

हम जब तेरी यादों में बेहोशी का सफर कर जाते हैं 

सुकून भी तू, और शिकवों की वजह भी तू 

हम जो तेरे बिन रह नहीं पाते हैं।


तू जब भी मिला है, हंसकर मिला है 

और जब भी गया है, अजनबी कर गया है 

तेरा मुस्कुराना और मेरा मुरीद हो जाना

तू अपनी बातों में मेरे वजूद को छूकर गया है।


जी तो चाहता है की पतझड़ का ज़िक्र कर दूँ 

इस चाहत में तेरी बेवफाई का रंग भी भर दूँ 

लेकिन तारीफ़ है तेरी इस बार भी

कि तू मुझे ज़िद्दी बना कर गया है।


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