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Prafulla Kumar Tripathi

Romance

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Prafulla Kumar Tripathi

Romance

काश , बाबा इस धरा पर ...

काश , बाबा इस धरा पर ...

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काश बाबा इस धरा पर

फिर से तुम आते

अपनी बगिया के सुमन दल

फिर से खिल जाते


तुम नहीं तो सूनी धरती

आपदा से मन घिरा

बंद हैं पक्षी के कलरव

अधर पर पहरा पडा


तुम जो आते साथ में

मधुमास भी लाते

काश बाबा


मन हुआ है बावला और

हर तरफ उठता बवंडर

आपकी निजता निकटता

मांगता मन हर प्रहर


मन प्रफुल्लित वराभय

आनन्द हम पाते

काश बाबा


तुम कहाँ किस जगह पर हो

जान तो सकता नहीं

तुम नहीं अब इस धरा पर

मान भी सकता नहीं


मन के मन्दिर में बसे तुम

दिख नहीं पाते

काश बाबा इस धरा पर

फिर से तुम आते

फिर से तुम आते।


साहित्याला गुण द्या
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