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Krishna Bansal

Romance

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Krishna Bansal

Romance

मुखौटे

मुखौटे

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प्राय: लोग अपने चेहरे पर 

पहने रखते हैं मुखौटा 

मुखौटा पहने ही जीते हैं 

पहने पहने ही इस दुनिया से 

हो जाते हैं अलविदा। 

 

मुखौटे के पीछे का असली चेहरा 

कभी किसी को नज़र नहीं

आता समय-समय पर वह 

मुखौटा बदलते रहते हैं 


इतनी तेज़ी और चालाकी से

पता ही नहीं चलता 

मुखौटा बदला गया है।

 

कभी अमीरी का 

सरकारी फायदा हो रहा तो

गरीबी का 

कभी तनाव का 


कभी हर्ष और विषाद का 

धर्मात्मा होने का 

क्रोध का

घृणा का मुखौटा।


अच्छा भला खुशी का माहौल बन रहा हो

कंपनी के मुनाफे की बात चल रही हो

कोई कर्मचारी आ जाए एडवांस लेने

तो रोनी सूरत का मुखौटा।


बच्चों के साथ कोई और मुखौटा

बीवी के साथ कोई और 

बॉस के साथ कोई और 

हर रिश्ते के साथ अलग-अलग मुखौटा।


सुबह से शाम तक पचासों मुखौटे

बैठना ही नहीं चैन से 

शारीरिक रूप से बैठ भी जाए

मानसिक रूप से बिल्कुल भी नहीं।


कभी बैठ भी जाएं 

दिन भर के मुखौटों से

मिली प्रतिक्रियाऐं मुंह चढ़ाती है 

अंतर्मन से कभी प्रसन्न


होते ही नहीं ऐसे लोग 

उन्हें लगता है

कोई नाज़ायज़

फायदा उठा लेगा।


सोचते हैं 

हमने दुनिया को प्रभावित

किया समझते ही नहीं 

जीवन झूठ के सहारे बिताया।


प्राय: लोग अपने चेहरे पर 

पहने रखते हैं मुखौटा

अगर इश्क़ कर

लिया तो रोज

पल-पल मरोगे

सच है ना।


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