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Ajay Pandey

Romance

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Ajay Pandey

Romance

रात जागूँ सदा

रात जागूँ सदा

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संग संग मेरे फिर रात जागी है

चाहतों की वो सारी बात जागी है

हसरतों की सेज सजाए हुए

पलकों में सारी रात काटी है।


चांद तो राह अपनी चलता रहा

अपना सफर खत्म करता रहा

दीप की लौ टिमटिमाती रही

रात ढलती रही मन मचलता रहा।


मखमली छुअन का ही एहसास है

यूँ तो है दूर मुझसे, मगर पास है

साँसों में साँसों की खुशबू बसी

यादों में भी तेरी मधुमास है।


है यही कामना रात जागूँ सदा

प्रेमपाश में खुद को बाँधूँ सदा

रात गहरी हो, कितनी भी घनघोर हो

छुप के पलकों में तेरे रात जागूँ सदा।।


 


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