छवि उतनी होगी प्यारी।
छवि उतनी होगी प्यारी।
बात चली जब जीवन-रण की,
कौन यहां कब हारा है।
केवल अपनी बात कही है,
दूजा कब स्वीकारा है।।
हार जीत के पैमानों से,
खुशियां तोली जाएंगी।
जीवन उतना दूभर होगा,
चैन नहीं फिर पाएंगी।।
ज्ञानी जन सब कहते सारे,
जीवन फूलों की क्यारी।
प्रेम भाव से जितना सींचो,
छवि होगी उतनी प्यारी।।