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Praveen Gola

Inspirational

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Praveen Gola

Inspirational

अपने दर्द को सहने की

अपने दर्द को सहने की

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अपने दर्द को सहने की ,आदत डाल लो तुम ,

क्या पता ये दर्द कब ,हवा बन के डोले।

हवा बन के डोले ,और खाये हिचकोले ,

दर्द की वजह से तब ,कुछ मुँह से ना बोले।

रातों की चीख तड़पन करेगी ,बड़ी बेदर्द तब हँसी ये लगेगी ,

वो दर्द तब पिछले ,सभी राज़ खोले।

अपने दर्द को सहने की ,आदत डाल लो तुम ,

क्या पता ये दर्द कब ,हवा बन के डोले।

कर्मो का लेखा - जोखा खुलेगा ,पापों का फल तो भुगतना पड़ेगा ,

आँसू की बूँदों से ,तब अँखियाँ भिगोले।

जीने की चाह मरने लगेगी ,दर्द ही दर्द की सिसकी उठेगी ,

मौत के ना आने की , इंतजार में दिल रोले।

अपने दर्द को सहने की ,आदत डाल लो तुम ,

क्या पता ये दर्द कब ,हवा बन के डोले।|



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