रिश्ते यूं नहीं टूटते
रिश्ते यूं नहीं टूटते
कुछ थोड़ी सी बातों में तकरार हो बेशक,
पर दिल के रिश्ते यूं तो नहीं टूटते,
बांधी प्रीत की डोर है उससे,
कुछ पल का तो साथ नहीं मांगा,
फिर क्यों बिखरते रिश्ते को टूटते रिश्तों का नाम दे दिया,
रिश्तों में तकरार कहां नहीं होती,
प्यार है तो शिकवा भी होगा,
परवाह है तो चिंता भी जायज है,
फिर क्यों शिकवे को शक का नाम दिया,
क्यों परवाह को दिखावे का नाम दिया,
क्यूं हमारी तकरार को टूटते रिश्ते का नाम दे दिया,
बांधी डोर तुझसे पर बंध गया तेरे परिवार से रिश्ता,
संभलते संभलते ढलते उस रंग में थोड़ा समय लगा,
पर क्यो पराया कह मुझे खुद से अलग कर दिया,
समझ जाती अगर एक बार प्यार से कहते तो,
क्यों तुमने टूटा रिश्ता मान मुझे यूं ठुकरा दिया,
दिल के रिश्तों में शिकवा होता है बेशक,
पर शक की दिवार कभी नहीं पनपती,
बेशक लडाई झगडे अक्सर हो जाते हैं,
पर मनमुटाव की नौबत कभी नहीं आती,
थोड़ी सी कहा सुनी पर,
दिल के रिश्ते यूं तो नहीं टूट जाते।
