सभी महिलाओं को समर्पित मेरी कविता...।
सभी महिलाओं को समर्पित मेरी कविता...।
कष्ट सहना वो जानती है,
अपनों को साथ लाना वो जानती है,
बच्चों की खुशियां भी वो जानती है,
अपने सपनों को भुलाकर,
औरों की खुशियों में खुश रहना वो जानती है,
क्योंकि वो स्त्री हैं,
जिसे शुरुआत से उस सांचे में ढाला जाता है,
कि भूल अपने सपने,
वो मां खुशी खुशी रखती परिवार का ध्यान,
करती सबकी परवाह वो,
पर खुद पर ध्यान देना भूल जाती है,
और सुन सबके तानों को खुश रहना जानती है,
सचमुच धन्य है उनका स्वभाव,
मां भी वो, बहन भी वो हर फर्ज अपना बखूबी निभाती है,
चेहरे पर तनिक भी उसके सिकन नहीं,
क्योंकि वो स्त्री हैं फौलाद की चट्टान,
जो दुश्मनों से भिड़ना भी जानती है,
और वक्त आने पर दुष्टों का संहार करना भी जानती है,
बेशक कोमल स्वभाव हर नारी का होता है,
पर परिवार पर आए संकट तो महाकाली बन जाती है,
तभी तो हर नारी में मां दुर्गा की छवियां नजर आती है,
सिर्फ एक दिन उनका सम्मान करने से,
सिर्फ एक दिन उनको अच्छा महसूस कराने से,
हमारा दायित्व पूरा नहीं होता,
क्योंकि जिस प्रकार मां की ड्यूटी कभी खत्म नहीं होती,
उसी प्रकार प्रत्येक नारी का सम्मान प्रतिदिन करना,
उनको वहीं सम्मान देना चाहिए,
क्योंकि सिर्फ एक दिन,
उनको खास महसूस कराना काफी नहीं होता।