मेरे विचार....।
मेरे विचार....।
कैदी नहीं वो उनका भी आशियाना है,
खुला आसमां उनका घर आना है,
पल में यहां पल में वहां जाना उन्हें भाता है,
बच्चों के लिए दाना चुगने जाना,
शाम को उनके साथ समय बिताना,
उनकी चू चू आवाज सुनना,
और खुले आसमां की सैर कराना,
यही तो उनका छोटा सा अरमान होता है,
बेशक बेजुबान पक्षी है,
पर अपनापन और प्यार लुटाना जानते हैं,
अपने बच्चों संग खेलना जानते हैं,
मासूम सी जान को पिंजरे में क्यों बंद करते हो?
उड़ने दो उन परिंदों को खुले आसमां में,
वही तो उनका आशियाना है,
प्यार करो पक्षी से पर उनको यूं कैद नहीं,
छोड़ दो स्वतंत्र उनको उन पिंजरों से,
फिर देखो उनकी उड़ान को,
देखो पिंजरे से आजाद कैसे जीते हैं वो,
कल की चिंता में कभी आज न गंवाते हैं।
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