नयी शुरुआत
नयी शुरुआत
इक सफ़र है ज़िंदगी हर मोड़ पर मज़े लूट।
ना कर ज़ाया इसे जो गया ख़्वाब एक टूट।
क्या ग़म क्या ख़ुशी सब उसकी नियामत है।
इक दिन ऐसा आएगा जब सब जायेगा छूट।
ज़रा गौर से देख ये दुनिया है एक बड़ा मेला।
बिन मक़सद भागता हुआ ज्यूँ भीड़ का रेला।
ज़िंदगी बीत जाती है रिश्ते बनाने-निभाने में।
दिल में झाँकके देखें तो हर शख़्स है अकेला।
आतिश-ए-हिज्र में क्यूँ खून जलाये अपना।
ऐसी क्या दिल्लगी जो नाम उसी का जपना।
और भी मुक़ाम हैं ज़ीस्त मुक़म्मल करने को।
बीती बात बिसार कर देख नया एक सपना।
माना मसर्रत मिट गयी अफ़सुर्दा है जिंदगी।
देख दरीचे दिल के खोल मिट जाएगी तिश्नगी।
कर नयी शुरुआत यही जिंदगी का फ़लसफ़ा।
खुदी को कर बुलंद अब छोड़ उसकी बंदगी।