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Neeraj pal

Inspirational

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Neeraj pal

Inspirational

प्रतीक्षा।

प्रतीक्षा।

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निशदिन आस लगाए बैठा, एक दिन तो तुम आओगे।

दामन अपना फैलाए बैठा, एक दिन तो भर जाओगे।।


जीवन बना मरुस्थल जैसा, कभी तो प्यास बुझाओगे।

करुणा के सागर तुम हो मेरे, खुद ही अमृत पिलाओगे।।


जिस रास्ते पर तुमने छोड़ा, तुम ही राह दिख लाओगे।

भटके के तुम ही हो स्वामी, सेवक को गले लगाओगे।।


यह दरबार दीन को आदर, सब पर कृपा बरसाओगे।

सबकी मुरादें तुम पूरी करते, खाली न कभी लौटाओगे।।


जिनकी लौ लगी है तुमसे, रूहानी दौलत लुटाओगे।

"नीरज" करता "प्रतीक्षा" तुम्हारी, दरस कब दिखाओगे।।


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