STORYMIRROR

Sunil Kumar Anand

Inspirational

4  

Sunil Kumar Anand

Inspirational

युग निर्माता

युग निर्माता

1 min
573

न दुनिया का डर,न किया खुद की फ़िकर ,

पूरे मनोयोग,कर्तव्यनिष्ठा व सजगभाव से,

अपने शिक्षारूपी पौधे को सींचता है चाव से,

सारे गुण उस पौधे के अन्दर भरता जाता है, 

धीरे-धीरे जब वह पौधा बड़ा हो जाता है,

सारे आँधियों व तूफानों को सह जाता है, 

अपनी लहलहलाती फसल को देख ,

जैसे अनंदाता किसान खुश हो जाता है, 

वैसे ही यह माली अपने पौधे को बढ़ते हुए देख

अपने मन ही मन में मुस्कुराता है, 

लगाये गए पौधे की जब जग छांव पाता है

पौधे में सफलता रूपी लगे हुए फल खाता है,

यह देख अब माली कभी-कभी इतराता है,

आज इसी माली को कोई शिक्षक कहता है, 

कोई इस माली को कहता भाग्य विधाता है, 

जो हमें शिक्षा के साथ- साथ संस्कार सिखाता है ,

वह माली नहीं है वह तो सच में युग निर्माता है।

शिक्षक छात्र और राष्ट्र दोनों का भाग्य विधाता है, 

इसलिए तो शिक्षक ईश्वर से बढ़कर सम्मान पाता है

सच में युग निर्माता है,शिक्षक छात्र-राष्ट्र का भाग्य विधाता है।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational