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Sunil Kumar Anand

Inspirational

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Sunil Kumar Anand

Inspirational

अन्नदाता

अन्नदाता

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धरती का सीना चीरकर,खून -पसीना जलाकर

हर मौसम की मार झेलकर,फसल को उगाकर।

खुद भूँखा रहता है खुश है औरों को खिलाकर,

उसकी मेहनत व गरीबी पर किसी को नहीं ध्यान है,

अन्नदाता इसलिए लाचार,परेशान व हैरान है।

वह सर्दी,वर्षा व कड़ी धूप में जब चलता है,

तब जाकर सभी के घरों में चूल्हा जलता है।

कर्ज के बोझ से डूबकर,दुनियां से ऊबकर

दूसरों के निवाले के लिए दे देता अपनी जान है,

कहने को तो वह एक बूढ़ा किसान है

पर सच तो यह है की वह धरती की आन ,बान शान है।

ऐसे अन्नदाता को सुनील आनन्द सादर का प्रणाम है।।



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