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Hardik Mahajan Hardik

Inspirational

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Hardik Mahajan Hardik

Inspirational

जीवन का अंत

जीवन का अंत

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जीवन का अंत मृत्यु है

यह एक शाश्वत सत्य है।

ओस की बूंद जानती थी,

सास्थी पहचानती थी,

सूर्य-रथ जब चढ़ आई किरण,

प्रश्न-जब था,धरा में छिपा जीवन?

किरणों को ही स्वीकारता मिलन व मरण,

प्रेम बिन जीवन का क्या अर्थ?

मृत्यु नियति है,यह सोचना व्यर्थ था,

आवागम का एक पड़ाव है, मरण

मरण से ही उदय नवजीवन,

मृत्यु तो एक प्रश्न है

यह तो नित्य का क्रम है।

बूंदों को विश्वास था,

इसलिये था,मृत्यु में भी उल्लास

किरणों को अंगीकार करने की प्यास,

मरण के बाद फिर पूर्णमिलन की आस।



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