धूप न देखे ओस न देखे, न देखे बरसात को। फर्स्ट आने के लालच में, लुट गई सारी मस्ती है। धूप न देखे ओस न देखे, न देखे बरसात को। फर्स्ट आने के लालच में, लुट गई सारी मस...
अब बस हसीन पंखुड़ियाँ है, जिनमें हर रोज़ ओस पड़ती है अब बस हसीन पंखुड़ियाँ है, जिनमें हर रोज़ ओस पड़ती है
गए पंछी भी नभ को छूने निकला किसान भी खेतों को बोने गए पंछी भी नभ को छूने निकला किसान भी खेतों को बोने
देख कर शृंगार धरा का कमुदनी अकुलाती हिय में देख कर शृंगार धरा का कमुदनी अकुलाती हिय में
तड़पन के अश्क़ों में रक़्त न बहाता हो जहाँ। तड़पन के अश्क़ों में रक़्त न बहाता हो जहाँ।
लेकिन यह बात दूसरों को कैसे समझेगी। लेकिन यह बात दूसरों को कैसे समझेगी।