बगीचा
बगीचा
पुरानी आदतों के बगीचे से,
काटें चुन ले गया कोई,
अब बस हसीन पंखुड़ियाँ है,
जिनमें हर रोज़ ओस पड़ती है
पुरानी आदतों के बगीचे से,
काटें चुन ले गया कोई,
अब बस हसीन पंखुड़ियाँ है,
जिनमें हर रोज़ ओस पड़ती है