STORYMIRROR

शर्मनाक वाक्या

शर्मनाक वाक्या

1 min
303


ये देख शर्म बड़ी आई के,

इन पाँच सालों में,

हम तो उनकी ज़ुबान नहीं सीखे,


अल्बत्ता अनजाने वे लोग

अब हमारी ज़ुबान में

हमसे गुफ्तगू कर लेते हैं।


कोशिश तो बड़ी कि

के कुछ अल्फ़ाज़

ज़ुबानी याद रहे,


पर जब भी कोई

महारथी सामने आये,

तो हम काक और वो

बुलबुल नज़र आये।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama