शर्मनाक वाक्या
शर्मनाक वाक्या
ये देख शर्म बड़ी आई के,
इन पाँच सालों में,
हम तो उनकी ज़ुबान नहीं सीखे,
अल्बत्ता अनजाने वे लोग
अब हमारी ज़ुबान में
हमसे गुफ्तगू कर लेते हैं।
कोशिश तो बड़ी कि
के कुछ अल्फ़ाज़
ज़ुबानी याद रहे,
पर जब भी कोई
महारथी सामने आये,
तो हम काक और वो
बुलबुल नज़र आये।।