STORYMIRROR

Sarthak Mishra

Classics Drama

3.5  

Sarthak Mishra

Classics Drama

मैंने एक ज़माना बदलता देखा है

मैंने एक ज़माना बदलता देखा है

3 mins
29.5K


मैंने एक रुपये के तीन गोल गप्पों को

दस रुपये के तीन होते देखा है

और एक रुपये की चार नारंगी को

चार रुपये की एक होते देखा है

मैंने छोटी छोटी खुशियों को

बड़ी बड़ी मांगों में बदलता देखा है

और उन्हीं मांगों के वादे न्यारों में

लोगों को फिर पिसते देखा है

मैंने एक ज़माना बदलता देखा है।


आज भी याद है वो शक्तिमान का ज़माना

जब रविवार को बारह बजे होता था हंगामा

और शुक्रवार की रात से अन्तराक्षरी होती चालू

और शनिवार की सुबह आता था जंगल का भालू

वो ज़ी टीवी पर हॉरर शो और रात में डरना

और सी.आई.डी. में लोगों का बिना बात पे मरना

और मम्मी के बोरिंग सेरिअल्स भी दिल को लुभाते थे

और हर शाम हमसे मिलने मिक्की डोनाल्ड आते थे

मैंने डीडी वन के कार्टून्स को ज़माने में पिघलता देखा है

और अच्छे कार्टूनों से छोटा भीम और डोरेमोन निकलता देखा है

खेल खेल में सीखते बच्चों को आज मोबाइल पर चिपका पाया है

छुपन छुपाई और पकड़म पकड़ाई को आज का कौन बच्चा जान पाया है

मैंने लूडो, सांप सीढ़ी और तीन दो पांच को मोनोपोली में बदलता देखा है

मैंने एक ज़माना बदलता देखा है।


एक समय था जब एक घर में परिवार बड़ा रहता था

घर तो होते थे छोटे मगर दिल सबका बड़ा होता था

सभी एक साथ रहते और सुख दुख बांटते थे

जब पड़ोसियों के यहां पर भी हम खाना खा आते थे

तब किसी के भी दिल में बैर नहीं होता था

चोट किसी को भी लगे और दुख सभी को होता था

शाम होते ही सब चबूतरे पर इकट्ठा हुआ करते थे

और गली के फिर बड़े बुज़ुर्ग कहानियां सुनाया करते थे

शाम खाना चाहे कोई भी बनाये सब एक साथ खाते थे

और क्रिकेट का वर्ल्ड कप देखने पड़ोसी के यहां जाते थे

मोहल्ले में एक ब्लैक वाइट टीवी से हर घर में कलर आता देखा है

गली के एक टेलीफोन बूथ को आज हर जेब में समाता देखा है

मैंने चिट्ठी टेलीग्राम को फेसबुक, व्हाट्सएप्प, हाईक बनते देखा है

मैंने एक ज़माना बदलता देखा है।


था एक ज़माना प्यारा जब लोगों में न बैर था

जेब मे होते सौ रुपये और ज़माने का होता सैर था

छुट्टी वाले दिन हम जब रेडियो नोब घुमाते थे

आकाशवाणी सुनते थे और खूब गाने गाते थे

बिजली जब गुल हो जाती थी तो हाथ का पंखा करते थे

और नहाने के बाद बाल में सरसों किया करते थे

मैंने सरसों के तेल को हेयर जैल में बदलता देखा है

बिजली जाने की फीलिंग को इन्वर्टर में दबता देखा है

रफी, लता और किशोर कुमार के गानें जब भी कहीं आते थे

सारे काम छोड़ हम वही गाना गुनगुनाते थे

मैंने अच्छे गानों को योयो रैप के तले डूबते हुए देखा है

शास्त्रीय संगीत का मर्डर करते ढिंचक पूजा तक को झेला है

मैंने एक ज़माना बदलता देखा है।


बच्चे जाते स्कूल और लेने मम्मी जाती थी

घर आके गरम गरम खाना फिर खिलाती थी

उन माँओं की जगह आज नौकरों को लेते देखा है

कढ़ाई की गरम सब्जी को माइक्रोवेव में बनता देखा है

समय था जब ज्ञान था देते सभी हमारे बहन भाई है

आज का दौर है सबसे सुनते इतनी हमने पटाई है

आज समय नहीं है इतना बच्चों को भी दे सके

हमारा ज्ञान हमारे संस्कार आज की पीढ़ी को सिखा सके

पश्चिमी संस्कृति से आज हम इतने प्रभावित है

हमारी संस्कृति शर्म से सबके सामने घावित है

और दीदी दीदी कहते मर्दों की नीयत में बदलाव जो आया है

हर लड़की पर बुरी नज़र और रेप का हर जगह साया है

मैंने इंसान की जान को कुछ रुपयों में बिकता देखा है

मैंने एक हसीन ज़माने को

तहस नहस होता देखा है...।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics