बीती रात कमल दल फूले
बीती रात कमल दल फूले
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बीती रात कमल दल फूले
क्यों बिटिया तू आँखें न खोले
रथ पे सवार लो रवि आया
किरणों का वो उजाला लाया
हरी दूब पर ओस की छाया
बिखेरने रंग इंद्रधनुषी लाया
गाएं पंछी कोयल भी बोले
धुन घंटियों की मधुरस घोले
शीतल पवन का झोंका आया
खिली कलियाँ वन भी मुस्काया
आई तितली भँवरा भी गुनगुनाया
देखो उठाने अब मुर्गा भी आया
गए पंछी भी नभ को छूने
निकला किसान भी खेतों को बोने
बीती रात क्मल दल फूले
क्यों बिटिया तू आँखें न खोले।