STORYMIRROR

Kiran Bala

Abstract

3  

Kiran Bala

Abstract

बीती रात कमल दल फूले

बीती रात कमल दल फूले

1 min
717

बीती रात कमल दल फूले

क्यों बिटिया तू आँखें न खोले


रथ पे सवार लो रवि आया

किरणों का वो उजाला लाया

हरी दूब पर ओस की छाया

बिखेरने रंग इंद्रधनुषी लाया


गाएं पंछी कोयल भी बोले

धुन घंटियों की मधुरस घोले

शीतल पवन का झोंका आया

खिली कलियाँ वन भी मुस्काया


आई तितली भँवरा भी गुनगुनाया

देखो उठाने अब मुर्गा भी आया

गए पंछी भी नभ को छूने

निकला किसान भी खेतों को बोने


बीती रात क्मल दल फूले

क्यों बिटिया तू आँखें न खोले।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract