मैने तुम को थामा है ऐसे
मैने तुम को थामा है ऐसे
दिल थामे है धड़कन को जैसे
छिपी सुगंध है पुष्प में जैसे
राग थामे हैं संगीत को जैसे
सीप सहेजे मोती को जैसे
मैंने भी कुछ यूँ ही, थामा है तुम को ऐसे
अपने अंतस की धुन के जैसे
पत्ता धामे ओस को जैसे
जीवन को थामे धरा हो जैसे
बूँदो को थामे माटी जैसे
मैंने भी कुछ यूँ ही, थामा है तुम को ऐसे
फूलों में मकरंद हो जैसे
इंद्रधनुषी रंग हों जैसे
मन में उठी उमंग हो जैसे
माली सींचे बगिया को जैसे
मैंने भी कुछ यूँ ही, थामा है तुम को ऐसे