हलधर नाग
हलधर नाग
नहीं किसी प्रतिष्ठा के जो मोहताज
बने ओडिशा के सरताज ,
जिन्हें कोसिलि भाषा से है प्यार
ऐसे हैं हलधर नाग
मुँह ज़बानी याद सारी रचनाएँ
जिनमें समावेश लौकिकता का
समाज की जो कहे कहानी
जिसने कभी भी हार ना मानी
ऐसे हैं हम सबके हलधर नाग
शोधार्थियों का विषय बनी हैं
इनकी पाँच रचनाएँ ।
रचनाओं पर शोध हैं जारी,
तीसरी कक्षा तक की हुई पढ़ाई
आज जो सब पे पड़ी हे भारी
ऐसे हैं हलधर नाग ॥
जनमानस के लोक कवि कहलाये
आस पास के ही विषय उठाए
समाज के हित में हे जो जारी
ऐसे हैं हम सबके प्यारे कवि हलधर नाग ।