हलधर हलधर
मानवता क्यों आज थमी है, नयनों में भी भरी नमीं है। मानवता क्यों आज थमी है, नयनों में भी भरी नमीं है।
प्रकृति हित करें कुछ समय दान कुछ श्रम दान ! प्रकृति हित करें कुछ समय दान कुछ श्रम दान !
देख रहे हल राह तुम्हारी बदरा बुला रहे जलधारी घर-संसार सुखों की खातिर तुम्हें जीतनी है यह पा... देख रहे हल राह तुम्हारी बदरा बुला रहे जलधारी घर-संसार सुखों की खातिर तु...
मधुमय यौवन का चित्र बदल रहा है देखो, अंतःकरण में चाह प्रिये, वही के वही हैं। मधुमय यौवन का चित्र बदल रहा है देखो, अंतःकरण में चाह प्रिये, वही के वही हैं।
मौसम कितना सख्त रहा है , और हलधर कब पस्त रहा। मौसम कितना सख्त रहा है , और हलधर कब पस्त रहा।