प्रेम पाती
प्रेम पाती
मैं भी बदल रहा हूँ, तुम भी बदल रही हो,
ये धरती और आसमां वही के वही हैं।
मधुमय यौवन का चित्र बदल रहा है देखो,
अंतःकरण मे चाह प्रिये, वही के वही हैं।
कोई हलधर फटी धरा से रुष्ट हो गया है
कोई प्यासा प्यास के मारे मर रहा है देखो,
यहाँ नैनों मे बरसात प्रिये, वही के वही हैं।
घड़ी दो घड़ी भी, घड़ी कहाँ ठहरती है ?
सपनों के आंगन में भावनाएं आंह भरती हैं,
चितवन से चित ना भरे;चित बहलाना पड़ता है,
शाँसों से शाँसों का स्पर्श कराना पड़ता है।
तुम कहती हो, लेशमात्र भी मुझे याद मत करना,
यहां यादों के सैलाब प्रिये,वही के वही हैं।
अब मुट्ठी से रेत सरक रहे हैं देखो,
उम्र कहती है जल्दी बीत जानें को।
ह्रदय को भान अब भी हो रहा है,
तुम आवोगी मुझे फिर से सताने को।
एक ये साँसे रूकी जा रहीं हैं,
फिर भी साँसों मे तेरी अहसास प्रिये,
वही के वही हैं।
मैं भी बदल रहा हूँ, तुम भी बदल रही हो
ये धरती और आसमां वही के वही हैं ।
मधुमय यौवन का चित्र बदल रहा है देखो,
अंतःकरण में चाह प्रिये, वही के वही हैं।