STORYMIRROR

Chinmaya Kumar Nayak

Romance

4  

Chinmaya Kumar Nayak

Romance

तू थी तो सब अच्छा था

तू थी तो सब अच्छा था

1 min
407

तू थी तो सब अच्छा था

तेरे बगैर हर भीड़ में सन्नाटा था

तेरी ओढ़नी जब बन जाता था मेरा अम्बर

ख़ुशी के मारे तेरी तरह में भी चहक उठता था। 

तू थी तो सब अच्छा था। 


तब फागुन में रंग बरसता था और सावन में पानी

क्या गर्मी और क्या सर्दी हर मौसम तेरे जैसे थे सुहानी।

मैंने तो जिया था उम्र से बढ़कर अपनी जिंदगी

तूने तो मेरे पास थी और मैंने तुझमें समाया हुआ था।

तू थी तो सब अच्छा था। 


दोस्त चिढ़ाने लगे थे कि मैं गोरा हो चुका था

भाभी का इतना भी क्या असर मैं निखर चुका था

आज याद आता है वो दिन बहुत मुझे

जब महफिलों में मेरा शान बढ़ जाता था। 

तू थी तो सब अच्छा था। 


अब चूम लेती है तेरी यादें मुझे सीने से लगा के

मैं कसमसा के रह जाता हूँ तेरी बाजी हार के

अब तो तेरी याद ही मेरा आखरी हमसफर

शायद मैं तेरी इश्क के कभी काबिल नहीं था। 

तू थी तो सब अच्छा था।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance