आशिक़ और माशूक़
आशिक़ और माशूक़
आशिक़ तेरा बनना अच्छा लगता है,
तेरे प्यार में तेरी याद में डूबे रहना अच्छा लगता है,
हर पल तकता रहूँ, बिरह की आग में झुलसना अच्छा लगता है,
सोहणी सूरत, मोहणी मूरत, दिल में बसाना अच्छा लगता है,
माशूक़ के प्यार में पल पल जलना अच्छा लगता है,
तेरी याद में खोना, तेरी याद में रोना अच्छा लगता है,
इंतज़ार में आँखें बिछाकर, टिकटिकी राह तकना अच्छा लगता है,
तेरे प्यार में, तेरे इश्क़ में, खूनका हर कतरा जलाकर राख बनाना अच्छा लगता है,
पागल, तेरे प्यार में पागल, पागल कहलाना अच्छा लगता है,
"background-color: rgba(255, 255, 255, 0);">अपना आपा मिटाकर, तुझ ही में खुद को समाना अच्छा लगता है,
मौत से पहले मुर्दा बनकर, तेरी याद में फ़ना हो जाना अच्छा लगता है,
तेरी मध मस्त कातिल आँखो की चिंगारी से जल जाना अच्छा लगता है,
तेरा चहेरा, तेरा नूर तकना, और तकते रहना अच्छा लगता है,
तेरे प्यार में, दीदारे यार में घुल जाना अब तो अच्छा लगता है,
दुनिया का हर सुख- हर ख़ुशी क़ुर्बान तुझ पर, तू ही तू, तू ही तू, रटना अच्छा लगता है,
स्वाँस जिसमें तेरा नाम ना, वो स्वाँस लेना अब ना अच्छा लगता है,
अब बस हरगोविंद और तू, तू, और बस तू ही तू, तू ही तू, और कुछ ना अच्छा लगता है.....!