लगन
लगन
लागी रे लगन अब तो लागी रे लगन,
मन भयो मगन, अब तो लागी रे लगन,
प्रीतम मिला, प्रेम रस चाखा, फीका पड़ा यह जग संसार,
झूठ परखकर सच संग जुड़ा, मिल गया अब तो साचा दरबार,
पल पल प्रीतम को निहारूँ, निहारूँ नूर अपार,
जित देखूँ , बस पिया पिया, मध-मस्त पिया का प्यार,
लगन लगाकर
, जोड़ा तुझ संग, तू ही है सच्चा मेरा यार,
प्रीतम प्यारे, तू तू करता तू भया है, मैं -ना रही, बस तू और तेरा प्यार......!
लगन लगी रे लगन लगी रे, नाचूँ हर पल जैसे नाचे मोर देख बसंत-मल्हार......!
हरगोविंद करत बिनती प्रीतम से, लगन की दात बनाए रखना, तूने दी जो प्रेम सौग़ात,
ना देना अब पल का बिछोड़ा, चाहे कष्ट आएँ अपार,
रहना नहीं अब एक पल तुझ बिन चाहे निकल जाएँ प्राण.....!