रिश्ते
रिश्ते
आज फीके पड़ गए रिश्ते,
बिना प्रीत के रह गए रिश्ते !
कहाँ खो गए वो प्यार भरे रिश्ते,
सही ग़लत की तुलना बन रह गए रिश्ते,
कहाँ गया वो दिलों का मेल,
कहाँ गई वो क़ुर्बानी और समर्पण,
अब रह गया सिर्फ़ खेल ही खेल !
मर मिटने वाली क़समें,
साथ निभाने वाली रस्में,
सच नहीं है ये, सपना बन गए ऐसे रिश्ते,
ग़लत फहेमियों का शिकार,
ईर्षा द्वेष और नफ़रत बन कर रह गए है अब रिश्ते,
छोटी बातों को बड़ी बनाकर,
नफ़रत वाली आग लगाकर,
मज़ाक़ बन कर रह गए हैं रिश्ते !
तू तू और मैं मैं में, तबदील हो गए हैं रिश्ते,
जूठी ख़ुशी और जूठी हंसी के हत्थे चढ़ गए
हैं ये रिश्ते !
जीने मरने की क़समें छोड़ कर,
मरने मारने का
खेल बन गए अब रिश्ते !
रह भी गए हैं अगर रिश्ते,
रह गए सिर्फ़ रिश्ते रिश्ते,
प्रेम प्यार रहित के रिश्ते, सिर्फ़ निभाने वाले रिश्ते !
ज़रा सी बात पर टूटते रिश्ते,
कच्चे दागों की तरह कच्चे बन गए हैं रिश्ते !
तोड़ने सिर्फ़ तोड़ने की बात है,
जोड़ने वाले अब कहाँ गए रिश्ते,
कहता हरगोविंद, जोड़ो तो दिल से जोड़ो,
वर्ना छोड़ दो दिखावों के रिश्ते,
प्रेम ढूँढो बस प्रेम, मत ढूँढो कमियाँ
और दिल से निभाओ रिश्ते,
माफ़ करो और आगे बढ़ो,
करो आदर सत्कार और निभाओ रिश्ते !
छोड़ दो निभाना जाली रिश्ते,
निभाओ तो बस दिल से निभाओ ये रिश्ते !
प्रेम करो एक दूजे से, करो अपने पराए और दूजे से,
भर दो रिश्तों को प्रेम मिठास से, फिर निभाओ दिल से रिश्ते !