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Hargovind Wadhwani

Inspirational

4.9  

Hargovind Wadhwani

Inspirational

इबादत

इबादत

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हर ज़र्रे, हर कतरे में तुझे देखना भी तो तेरी इबादत है....!

खलकत तेरी से महोब्बत  भी तो तेरी इबादत है.....!

गिरते को उठाना, बेसहारा को सहारा देना भी तो इबादत है....!

बे-इल्मों को इल्म, दर्द-मंदों को दवा देना भी इबादत है.....!


धैर्य से दुखियारों को सुनना और सुकून देना भी तो इबादत है....!

चाहे जो होना हो हो जाए, झूठ को छोड़ सत्य को पकड़ना भी इबादत है....!

किसी की हो गलती या हो गुनाह, माफ़ उसको कर देना भी तो इबादत है...!

फ़रेबों से बचाकर दुनिया को, तेरा रुतबा दिखाना भी तो इबादत है....!


अहंकार मिटाकर, मन-मोटावों को मिटाना भी तेरी इबादत है....!

हर मुश्किल में हर दुःख में, तेरी रहनुमाई में चलना भी तो इबादत है......!

बढ़ती नफ़रतों को, महोब्बत में तबदील करना भी तो इबादत है.....!

सुख या हो दुःख, हर पल तुझे याद रखना भी तो इबादत है....!

शिकायत- शिकवा ना करके तेरी रज़ा में रहना भी तो इबादत है....!

तू ही तू , तू ही तू करते, मैं मेरी को मिटा देना भी तो इबादत है....!

हर पल तुझे तकते रहना और तुझ में खो जाना भी इबादत है....!

रुख़ दुनिया से हटाकर तेरी और करना भी तो इबादत है...!

जो राह तेरी और ले जाए, उस राह पर चलना भी तो इबादत है....!

दीदार के लिए, तड़पना, बिलखना और रोना, यह भी इबादत है....!

कहता हरगोविंद, हे मेरे रब्बा, इतना ही अगर कर लूँ , तो भी मुक़मल मेरी इबादत है...!


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