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Jyoti Deshmukh

Inspirational

4  

Jyoti Deshmukh

Inspirational

नारी शक्ति

नारी शक्ति

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नारी शक्ति 

नारी तेरे कितने रूप 

तुमसे पावन जीवन की हर धूप 

तू है अन्नपूर्णा तू है जननी 

है कुदरत का आधार 

तू है दुर्गा और सरस्वती 

है शक्ति का स्वरूप साकार 

तुम वीर हो गंभीर हो 


तुम जीवन जीने का मर्म हो 

तुम ना रुकती न थकती 

अनवरत चलती रहती हो 

तुम नारी शक्ति हो 

स्नेहिल व्यक्तित्त्व से सुगंधित 

महके रिश्तों का जहान 

नारी तुम स्वाभिमान 

नारी तुम महान 


अपने अन्दर हजार गहराईयों को समेट

असफलता को चुनौती देती कभी ना निराश होती 

लहरों से हर रोज गिरती 

फिर संभालती 

तुम नारी शक्ति हो 


तू ममता की छांव 

जो जीवन में सुकून भरे 

तू है स्नेह की सुंगध से महके 

तू है त्याग और समर्पण की मुरत 

जो स्नेह भावना को असीमित कर दे 

हजारों मुश्किलें आती जिंदगी में रोती

जिंदगी में तुम न घबराती न हारती 

अग्निपथ की राह में बस बढ़ती जाती 


हर नयी सुबह नयी कहानी तुम रचती हो 

तुम नारी शक्ति हो 

तुम रक्षा का वो बंधन 

जो हर कलाई को प्रेम से सरोबार कर दे 

तू है भोली सी मासूम जो घर आँगन में मुस्कान भरे 

तू ईश्वर की वो भक्ति जो पूरे ब्रह्माण्ड को पावन कर दे 


तुम नारी शक्ति हो 

अपने आंचल में दुःख को समेटती 

दूसरों की खुशियां तुम बाँटी हो 

समर्पित खुद को कम करती त्याग और बलिदान की मुरत हो 

दिए की तरह खुद जलकर घर में रोशनी तुम करती हो 

अपनी इच्छाओं को भीतर लिए 


अपनी मर्यादा में तुम रहती हो 

कभी ना अपनी सीमाएं लांग आग की तरह

तुम जलते हो पर शिकायत नहीं करती 

तुम नारी शक्ति हो 


कभी माँ, बेटी 

कभी स्त्री, कभी भगिनी 

हर रूप में संघर्ष जीवन को अपने साथ जी लेती 

तुम नारी शक्ति हो।


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