week- 43 दहेज दानव
week- 43 दहेज दानव
एक पिता ने अरमानों से रचाया अपनी बेटी का ब्याह
एक अच्छा वर ढूंढ करा अपने कर्तव्य का निर्वाह
अपने हैसियत मुताबिक किया अपनी बेटी का विवाह
सोचा सब अच्छा होगा बेटी सुखी रहेगी, बनेगा उसका स्वर्ग उसका घर संसार है
पर उसकी उम्मीद धुआं धुआं हो गई दहेज के नाम पर उसे मिला धोखा
ससुराल पक्ष से मिला क्यों दहेज का अभिशाप है
ये दहेज दानव क्यों जुल्म ढहा रहा कहीं आत्महत्या,
तो कहीं जलाकर मारा जा रहा बेटियों को
दहेज लेना देना जुर्म है
ये कैसी जागरूकता, इस गंभीर विषय पर सोच- विचार कर इसे खत्म करे
जब बेटियाँ होगी शिक्षित, करेगी समाज को गौरवान्वित
बेटियों को सम्मान मिले, मिटाए इस कुरीति को तब होगा समाज का विकास
जहाँ माँगा जाए दहेज उस घर विवाह नहीं करना है
हो शिक्षित हर बेटी, रहे जागरूक आत्मनिर्भर उसे अब होना है
अपना भविष्य अब उसे उज्ज्वल कर जाना है