week- 45 विषाद ( उदासी)
week- 45 विषाद ( उदासी)
मन क्यूँ है उदास असफलता से न डर ले अपनी असफलता से सीख एक दिन सफ़लता का सूरज जगमगा जाएगा
आशा का सागर न होने पाए आखों से ओझल, खुद पर रख विश्वास, कर निश्चय कर मेहनत ये ज़ज्बा तेरा एक दिन तुझे कामयाब बनाएगा
मन क्यों है उदास
माँ - पिता का ले आशीर्वाद कर रोशन नाम उनका, उम्मीद का दीपक बुझ न पाएगा ,उम्मीद की किरण रख कायम एसे ही तू मंजिल पा जाएगा
मन क्यों है उदास
भले ही हो आज गुमसुम धरती, गुमसुम आकाश, सहमी हो रात
तू विपरित परिस्थितियों में भी धैर्य रख कर विपरित परिस्थितियों को हल कर पायेगा
झरने की तरह निरन्तर चट्टानों से टकराकर भी तू विफल न होने पाएगा
मन क्यों उदास
होगा तेरा भविष्य उज्जवल शिक्षा का सही सदुपयोग कर निराशा के घोर अंधेरों से तू निकल पायेगा, एक नयी सुबह के साथ, फूलों के खिलने की तरह, जीवन में तेरे एक नया मधुमास आएगा
मन क्यों है उदास
हार मत मान, निरन्तर प्रयासरत रह अपने लक्ष्य तक पहुंच ही जाएगा
तू एक मुसाफिर की तरह जीवन के अनुभव से ले सीख एक दिन तू अपने गंतव्य तक पहुंच ही जाएगा,
अब न हो उदास ला होठों पर मुस्कान
जीवन हंसते जीना तू सीख ही जाएगा।
