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Rekha Mohan

Inspirational

4  

Rekha Mohan

Inspirational

दोहा

दोहा

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माँ शैलपुत्री बिनय करूँ, पाऊँ सुख का सार

मोह जाल में हों के ही, हैं जीवन आधार। १


ब्रहाचारणी सद भेष, बैल सवारी साथ

ले खुद ही सवार ले, यहीं परमार्थ हाथ। २


चन्द्रघंटा की ताल से, जग मोहित सा पाय

क्रोध रूप पाये अरि को, खड़ी समक्ष धमकाय। ३


कड़े विवेक न ज्ञान सुझ, भरे गुण से लाचार

कुष्मांडा कृपा भर सुख, गुण से सब साकार। ४


पूजन अर्चन करें खड़े, 'माँ' स्कंध के द्वार

भूल-चूक सब माफ कर, माँ बरसाओ प्यार। ५


माँ कात्यानी स्वामिनी, तुम से बड़ा न कोय

भर करुणा श्रद्धा से माँ, जो सुन मंगल होय। ६


अरुण नैन विकराल मुख, हाथ पकड़ कमंडलु

विश्व्वेश्वरी पूंज देव, देख चण्डी रूप डोलु। ७


माँ तुम करुणामयी हो, ममता की हो खान

जो ध्यान दुर्गा से हटे, भटक पाये अज्ञान। ८



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