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Rekha Mohan

Children

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Rekha Mohan

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रेशमी रुमाल

रेशमी रुमाल

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जब मैं छोटी थी तब मेरी प्यारी दादी ने

दिया था एक रंगीन प्यारा सा रेशमी रुमाल

उसे लेकर आज भी आते हैं

मन में कई अनछुए ख्याल

प्रेम की साकार प्रतिमा थी वो

हमें बहुत प्यार दुलार करती थी।

यह रुमाल भी उनके प्रेम का प्रतीक है।

उपहार में कुछ ना कुछ देती थी।

जब मैं आठवीं कक्षा पास कर के

नवी कक्षा में आई थी।

आगे की पढ़ाई के लिए बॉयज स्कूल में भेजने की।

घर भर में उमंग छाई थी।

घर में एक खुशनुमा माहौल था।

उस खुशनुमा माहौल में मेरी प्यारी दादी ने ।

दिया था वह रंगीन रेशमी रुमाल

हवा में लहरा कर बड़े प्यार से मुझे पकड़ाया था।

और कहा था बेटा इसे अपने पास रखना

हाथ धोने के बाद मुंह पोंछने के काम आएगा।

नरम नरम है तुम्हें बहुत पसंद आएगा।

रंग बिरंगा है जल्दी गंदा भी नहीं होगा।

सच में रुमाल आज भी

मेरे बड़े काम आ रहा है

मुझे व मेरे भाई बहनों को ।

दादी की मीठी मीठी याद दिला रहा है


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