STORYMIRROR

Dr. Chanchal Chauhan

Inspirational Children

4  

Dr. Chanchal Chauhan

Inspirational Children

मैं हूँ निर्मिति, हूँ शिक्षिका

मैं हूँ निर्मिति, हूँ शिक्षिका

2 mins
332

हाँ मैं हूँ निर्मिति

समाज और राष्ट्र हित की

क्योंकि मैं हूँ एक शिक्षिका

स्वयं सीखती और सिखाती हूँ

क्योंकि मैं हूँ निर्मिति

और मैं हूँ शिक्षिका ।


हाँ अवश्य मैं हूँ ऋणी

माता-पिता गुरुजनों और वसुधा की

जिनके पालन पोषण से प्रगति की राह खुली

जिनसे सीखा ज्ञान विज्ञान और सम्मान

करती हूँ उनको शत शत नमन

क्योंकि उनके कारण ही मैं कुछ बन पायी

हाँ मैं हूँ निर्मिती

और मैं हूँ एक शिक्षिका ।।


हाँ मैं हूँ साधारण स्त्री

परमात्मा पर विश्वास करती श्रद्धा भाव से

अंतरात्मा की आवाज सुनती हूँ

वो आवाज़ मुझे ज्ञान करती

भले बुरे का

क्योंकि मुझे है करना हित समाज और राष्ट्र का

क्योंकि मैं हूँ निर्मिति

और मैं हूँ एक शिक्षिका ।।


हाँ अवश्य ही मैं कृतज्ञ हूँ

अपने बच्चों वेदिका और वृंदा की

जिन्होंने किया हमेशा मुझे प्रोत्साहित

तन मन धन से और 

मैं बढ़ी आगे तो इनके सहारे

और अपने पति की

जिन्होंने दिया हमेशा साथ मेरा हर क्षण हर पल

और अपने सभी प्रियजनों की

जिनसे मैं नित्य कुछ सीख पायी

क्योंकि हर बंदा टीचर है

और हर बंदे में टीचर है

साथ ही आभारी हूँ

मेरे पथ में आये सभी आत्मीय जनों की

जिनके कार्यों व जीवन शैली से मैंने सीखा

सीखा मैंने फूल की तरह ख़ुशबू बिखेरना

तथा सीखा समर्पण भाव

तथा सीखा विशेष कि

वो जीवन ही क्या जो दूसरों के लिये जीया ना हो 

वो जीवन ही क्या जो दूसरों के काम ना आया हो

अपने लिये तो जानवर भी जी लेते है

कभी ना महसूस किया मैंने निंदा का स्वर

बस रही भावना कुछ नया करने की

कुछ कर गुज़रने की

हर किसी की प्रतिक्रिया या टिप्पणी से

मैं हूँ खिल जाती

क्योंकि मैं हूँ निर्मिति

और मैं हूँ शिक्षिका

तथा वो शिक्षिका जो समाज का उत्थान कर सके

तथा वो शिक्षिका जो राष्ट्र हित में कुर्बानी दे सके

इसी निमित्त

हाँ मैं हूँ निर्मिति

हाँ मैं हूँ शिक्षिका

स्वयं सीखती और सिखाती हूँ ।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational