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Dr. Chanchal Chauhan

Action Classics Inspirational

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Dr. Chanchal Chauhan

Action Classics Inspirational

सच राख से उठकर मुस्कुराएगा

सच राख से उठकर मुस्कुराएगा

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जब दुःख की घड़ियाँ आये,
वक़्त की सुईयाँ जैसे थम सी जाएँ,
साँसों का शोर भी लगे चीखो सा,
अकेलापन तब,
एक गहरा कुआँ बन जाए।

सच पर झूठ विजय पाये,
धुंध छा जाए आँखों के आगे,
न्याय की राहें,
पथरीली बन जाएँ,
विश्वास तब,
एक सूखा पत्ता बन जाए।

इस निर्मल पावन मन पर,
जब कलंक के घन छायें,
भीतर का सूरज,
ग्रहण से घिर जाए,
निर्दोषिता तब,
एक घायल परिंदा बन जाए।

अन्यायों की आंधी से,
कान उठें जब तेरे डोल,
हर शब्द एक प्रहार लगे,
हर चुप्पी एक शाप लगे,
अंतरात्मा तब,
एक चीखती ख़ामोशी बन जाए।

फिर भी,
आँखों में रखना एक दीया रोशनी,
दिल में रखना एक उम्मीद किरण,
क्योंकि रात कितनी भी गहरी हो,
अंधकार कितना भी गहन हो,
सुबह ज़रूर आएगी,
और सच, राख से उठकर,
फिर से मुस्कुराएगा।



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