STORYMIRROR

Kusum Kaushik

Action

4  

Kusum Kaushik

Action

प्रहरी

प्रहरी

1 min
440

बनके प्रहरी इस धरा की, प्राण अपने करूँ अर्पण,

मांग ले ये मातृभूमि, मुझसे भी तू ये समर्पण।

 

हो व्यर्थ न जीवन मेरा,कर नाम लूँ अपना खरा,

स्वप्राण की आहुति देकर, कर संकूँ परित्राण तेरा

चाह है जीवन हवन का, सफलता से करुं तर्पण

मांग ले ये........


देखती हूँ नहीं काँपे, हृदय जो हिम में धंसे,

नहीं विचलित हुए पग वो, तप्त रज में जो बढ़े

ऐसी विकट संभावनाओं में, करूँ शत्रु का मर्दन

माँग ले ये .........


शूली मिले अथवा कि मुझ पर, शत्रु का चल जाये खंजर

 कर संकूँ नश्लें भी कंपित, चाह है ऐसी निरंतर

भग्न कर दूँ अरि की इच्छा, काल उस पर करे नर्तन

माँग ले ये.........



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Action