जन-मानस की भाषा
जन-मानस की भाषा
हिन्दी जन-मानस की भाषा
पूरी करती है अभिलाषा
यदि समझ ना आए एकदम
दूजा तीजI जोर लगाती
इक इक शब्दों के जाने
कितने पर्याय बताती
इसीलिए कहती हूँ, कोई नहीं है इसके जैसा
हिन्दी जन ............. . ...........
भाषा कोई भी बोलें
पर सोच रहे हिंदी में
गढ़ लें कवित्त कितने ही
पर रस घुलते हिन्दी में
इसके आगे औरों का वज़ूद बस तिनके सा
हिन्दी ज़न..................................
अगर फंसे कभी अनजानों में
और मिल जाये कोई हिन्दी भाषी
तन मन में एक पल को फिर तो
कौंध जाए बिजली सी
मरते- मरते तब लगता है आया साँस जरा सा
हिन्दी ज़न..........
