बस यही तो चाहिए
बस यही तो चाहिए
बस थोड़ा सा मुस्कुराना,जरा सा हँस जाना
और फिर खिलखिला जाना।
बस यही तो चाहिए उन्हें।
अपनी न समझें तो उनकी ही समझ जाना
कभी कभी उनकी भी बोल जाना।
बस यही तो चाहिए उन्हें।
दुखते सिर पर हाथ फेर देना,
नब्ज़ पकड़ कर बुखार देख लेना,
कभी कभी बिखरे बालों को संवार देना
बस यही तो चाहिए उन्हें।
खुश कर दें तो खूब खुश हो जाना,
ना कर सकें तो बस कुट्टी हो जाना,
बस कलम के सितारे लुटाना।
बस यही तो चहिए उन्हें।
जब ज्यादा अच्छा कर दें तो
राजा बेटा कह कर गले लगाना
और सबको दिखाना।
कभी कभी गोदी में बैठाना।
बस यही तो चहिए उन्हें।
केवल अपने ही मन की न करवाना,
उन्हें अपने से बांधे रखने को
उनके भी मन का करना।
बस यही तो चहिए उन्हें।
वे बीज हैं जिन्हें बिखेरेंगे आप
और पाएंगे फसल भी आप ही।
सोचिए जो चाहिए उन्हें।
