STORYMIRROR

Kusum Kaushik

Abstract

3  

Kusum Kaushik

Abstract

हे सुरदेवी

हे सुरदेवी

1 min
172

हे सुर देवी हमको स्वर दो,

हम गान तेरी महिमा का करें।


यह जीवन जो हमने पाया, 

तेरी ही कृपा की है छाया।

अब निर्मलता इसमें भर दो,

हम गान.......


तुम ही करुणा करनी हो माँ,

तुम ही भव तारिणी हो माँ।

अब हम पर भी दृष्टि कर दो,

हम गान...........


ऐसी  सद्बुद्धि ज्ञान दो माँ,

भटकें नहीं पथ से भान दो माँ ।

नित ज्ञान सुधा वृष्टि कर दो, 

हम गान.......


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract