गणपति वंदना
गणपति वंदना
भर दो झोली मेरी गणपति जी,
दर से तेरे न जाऊँगी खाली
पार्वती के हो तुम तो दुलारे
शिव शंकर के बेटे हो प्यारे
काम करते हो जग में निराले
दर से तेरे .....
मैंने है आज तुमको बुलाया
लाके आसन पे तुमको बिठाया
हर तरह से है तुमको मनाया
दर से तेरे .....
ऋद्धि-सिद्धी के संग घर तुम आना
साथ मूषक को भी तुम ले आना
अपनी किरपा तुम मुझ पर दिखाना
दर से तेरे ...
मेरे घर तुम हमेशा ही आना
कर लूँ पूजन चले फिर तुम जाना
अपना आशीष देकर तुम जाना
दर से तेरे ....
विद्या दो तुम हमें बुद्धि दे दो
सुख दो साथ संतुष्टि दे दो
अब कृपा दृष्टि अपनी तुम कर दो
दर से से तेरे ...
बन के आयी हूँ मैं तो सवाली
झोली फैला दी है मैंने खाली
तेरी लीला है जग में निराली
दर से तेरे ...
