चल कहीं दूर चलें
चल कहीं दूर चलें
ओ मेरी तितली रानी मेरे पास आ जा,
अपने जैसे सुन्दर रंग मुझ को भी दे जा।
ले चल अपने संग मैं तेरे संग चलूँ,
इत-उत मैं भी तेरे संग तेरे डोलूं।
चारों ओर फैली है देखो हरियाली,
लदी हुई है फूलों से डाली-डाली।
इन फूलों से थोड़े फूल चुराये हैं,
तेरे लिए ही मैंने इन्हें संजोये हैं।
मत इतरा तू अपने सुन्दर रंगों पर,
इतने ही सुन्दर रंग हैं मेरे सपनों के।
बस इतनी अरज है रब से मेरी,
कोई मसल न दे तेरे-मेरे पंखों को।
जितनी सुन्दर बगिया है यह मेरी,
उतनी ही बदरंग है दुनिया की फेरी।
आ चल सुन्दर फूल ओ सुन्दर सी तितली,
हम तीनों इस दुनिया से कहीं दूर चलें।
जहाँ न कोई हैवान हो न कोई शैतान,
पर कहाँ है ये दुनिया मैं खुद हूँ हैरान।