ज़रा सामने तो आ ओ छलिये
ज़रा सामने तो आ ओ छलिये
आओ आओ अवधपुर राम जी
हम कब से निहारें तोरी राह जी
कब से आँखें बिछाए राह तक रहे
अब आकर पधारो अपने धाम जी
हैं अंधेरा घना कितना छा गया
पाप दुनिया में है कितना बढ़ गया
देखे दुनिया तुम्हारी ओर जी
अब आकर पधारो अपने धाम जी
महामारी को कर दो दूर जी
सबके बिगड़े बना दो काम जी
अपने कर्मों की हमको सजा मिली
अब आकर पधारो अपने धाम जी।