माँ बिना तुम्हारे
माँ बिना तुम्हारे


माँ बिना तुम्हारे दुनिया शून्य
काश.. माँ आज होती तुम
सारे तीज-त्योहार हुए फीके
माँ होली के रंग न भाते हैं
माँ तुम बिन दीवाली कैसी
ये दीप मुझे न सुहाते हैं
माँ बिना तुम्हारे दुनिया शून्य
काश.. माँ आज होती तुम
गूँगी रहकर रही निभाती
तुम दोनों कुल की रीति थी
पर अपने सुख-दु:ख कहने को
न माँ की वाणी फूटी थी
माँ बिना तुम्हारे दुनिया शून्य
काश.. माँ आज होती तुम
काश समय रहते समझ पाते
उस मौन की हम भाषा
माँ का अहसान रहा कितना
आज समझे तुम्हारी परिभाषा
माँ बिना तुम्हारे दुनिया शून्य
काश.. माँ आज होती तुम
जो आता प्रश्रय पाता था
सौम्य-सरल माँ का व्यक्तित्व
समय-चक्र चलता ही रहेगा
पर मिट न सकेगा माँ का अस्तित्व
माँ बिना तुम्हारे दुनिया शून्य
काश... माँ आज होती तुम