पर खुद की जान की खैर मनाओ पेड़ लगाओ प्रदूषण भगाओ। पर खुद की जान की खैर मनाओ पेड़ लगाओ प्रदूषण भगाओ।
सब चलें अपने कर्तव्य पथ पर ऐसी कविताएं करता रहूंगा। सब चलें अपने कर्तव्य पथ पर ऐसी कविताएं करता रहूंगा।
अगर अभी भी नहीं हुए सावधान, तो पूरे विश्व को बनाऊँगा अपना ग्रास अगर अभी भी नहीं हुए सावधान, तो पूरे विश्व को बनाऊँगा अपना ग्रास
थम सा गया है देश हमारा जाने किस बीमारी ने है पैर पसारा! थम सा गया है देश हमारा जाने किस बीमारी ने है पैर पसारा!
आंखो में आते हैं वो आंसू भी अब गीले नहीं होते! आंखो में आते हैं वो आंसू भी अब गीले नहीं होते!
क्या खता हुई है ऐ प्रकृति, सारी रौनक चली गयी। क्या खता हुई है ऐ प्रकृति, सारी रौनक चली गयी।