दूरी
दूरी
कोई किसी के जाता नहीं
कोई किसी के आता नहीं
पहले अतिथि सत्कार को आतुर रहते थे
पूछते थे, कब आओगे
आने से पहले ही मेहमान के
स्वागत की तैयारी शुरू हो जाती थी
कितनी खुशी होती थी,
जब मेहमान घर आता
या हम मेहमान बनकर
किसी केे जाते
अब लोग
एक दूसरे के घर जाने
या मिलने से बचने लगे है
कोई किसी के आता नहीं
कोई किसी के जाता नहीं
सब चलें अपने कर्तव्य पथ पर
ऐसी कविताएं करता रहूंगा।
