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Chandan Sharma

Abstract

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Chandan Sharma

Abstract

देखते देखते

देखते देखते

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सोचता हूँ कि वो कितने मासूम थे 

क्या से क्या हो गए देखते देखते.....

सर पे रहते थे जो इक दुआ की तरह 

वो बला हो गए देखते देखते 


सोचता हूँ कि वो कितने मासूम थे 

क्या से क्या हो गए देखते देखते.....


या रबा मेरे मुझ को दे तू ये बता 

कब कहाँ हो गया बोल ये हादसा 

थी ये शर्म-ओ-हया जिनकी ज़ेवर कभी 

बेहया हो गए देखते देखते 


सोचता हूँ कि वो कितने मासूम थे 

क्या से क्या हो गए देखते देखते.....


बात है उसकी और है उसी का ख़याल 

क्या कहूँ मैं तुम्हें अपने दिल का मलाल

जिनको कहते थे हम अपनी क़िस्मत कभी 

बद्दुआ हो गए देखते देखते 


सोचता हूँ कि वो कितने मासूम थे 

क्या से क्या हो गए देखते देखते.....


हमने सोचा न था होगा ऐसा कभी 

रूठ जाएगी हम से कभी ज़िंदगी

साथ रहते थे बनके जो साया मेरा 

गुमशुदा हो गए देखते देखते 


सोचता हूँ कि वो कितने मासूम थे 

क्या से क्या हो गए देखते देखते.....


जान देकर जिसे हम ने दी ज़िंदगी 

वो क़ज़ा हो गए देखते देखते !



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