STORYMIRROR

Chandan Sharma

Abstract

4  

Chandan Sharma

Abstract

होली

होली

1 min
274

देवर के हाथों में देख के रंग!

कि भाभी भागी मचाया हुड़दंग!


साजन पकड़े हाथ तो सजनी बोली!

ना सताओ तुम ना भिगाओ चोली!


नाजुक है कलाई यूँ मोड़ो ना सनम!

यूँ रंग रंग मत करो छोड़ो ना सनम!


भांग छान रहे हैं बैठ के दोस्त हमारे!

भंग के नशे में हुए मलंग सारे के सारे!


मटकी फोड़ने देखो आया गोकुल का चोर!

हर तरफ है मची धूम हर तरफ गुंजता शोर!


हर रंग है लाल नीला पीला गुलाबी हरा!

रंग-रंग है चहुँ ओर रंगीन हो गई ये धरा!


अपने बेरंग ज़िन्दगी को रंगों से सजाया है!

कि खुशीयों का पर्व "होली" ऐसे मनाया है!


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract